गुरुवार, 22 सितंबर 2011

छिद्रान्वेषण ...एक भाव-विषय .. दो रूप -----हम क्या चाहते हैं.......ड़ा श्याम गुप्त....

   शाबास ---महिलायें ज्ञान-विज्ञान के लिए उन्नति शिखर की ओर बढ़ रही हैं | आप यह चाहते हैं .---->
                         .....या....
<-----यह.....

----.इसमें शाबास की क्या बात है , सिर्फ कच्छा पहने युवा लडकियों की तस्वीर ...यहीं से प्रारम्भ होता है मांसलता पर रीझने-रिझाने का दौर...पहले खेल के नाम पर ...फिर फैशन शो...फिर देह-प्रदर्शन...फिर...मधुमिता...कविता.. ------हम क्या चाहते हैं.....समाज नारी से क्या चाहता है...उसे कहाँ देखना  चाहता है ....नारी स्वयं क्या चाहती है..??

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