सोमवार, 16 जुलाई 2012

छिद्रान्वेषण --- अकर्म..अनाधिकार कर्म.... डा श्याम गुप्त...





१------------व्यर्थ  के कार्यों  व उनसे सेलिब्रिटी बनने के अकर्म का यह हश्र होता है ...संसार का क्या है हंस-सुन कर अपने काम से..... परन्तु अपने कर्मों का भोग तो व्यक्ति को स्वयं भोगना पडता है ..मरने के बाद भी जग-हँसाई व अपमान द्वारा.....


२- अपनी क्षमता से अधिक ऊंचा उड़ने की ख्व्वाहिश  व दूसरों के सहारे उठने व उड़ने की आकांक्षा ..व्यर्थ के कार्य ...अकर्म ...होती है |  इसका अधिकाँश परिणाम यही होता है-----


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